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रंग-ए-ग़ज़ल
रंग-ए-ग़ज़ल

रंग-ए-ग़ज़ल

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ग़ज़लें झऱने की तरह होती है। जिस तरह झरने से ठंडा पानी बहता है, उसी तरह ग़ज़लों से शायरों के दिल में छिपी भावनाएं बहती हैं। अपनी भावनाओं को बताने के लिए अक्सर शायर गहराई से भरे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करते हैं। और इन्ही अल्फ़ाज़ों को एक साथ एक ही धागे में पिरोकर शायर ग़ज़लें तैयार करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि जितना पुराना उर्दू साहित्य का इतिहास है, उतना ही पुराना ग़ज़लों का भी इतिहास है। हर मूड में सुनी जाने वाली ग़ज़लों के इस शो 'रंग-ए-ग़ज़ल' में आपका स्वागत है। इस शो में हम आपके लिए सभी दिग्गज शायरों की एक से एक ग़ज़लें लेकर आए हैं।

रंग-ए-ग़ज़ल

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