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मीर तकी मीर - इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या
मीर तकी मीर - इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या

मीर तकी मीर - इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या

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रंग-ए-ग़ज़ल' के इस एपिसोड में सुनिए जनाब मीर तकी मीर की लिखी ग़ज़ल, जिसका नाम है 'इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या'।

मीर तकी मीर - इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या

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