Login to make your Collection, Create Playlists and Favourite Songs

Login / Register
Jeevan | Agyeya
Jeevan | Agyeya

Jeevan | Agyeya

00:01:33
Report
जीवन | अज्ञेयचाबुक खाएभागा जातासागर-तीरेमुँह लटकाएमानो धरे लकीरजमे खारे झागों की—रिरियाता कुत्ता यहपूँछ लड़खड़ाती टांगों के बीच दबाए।कटा हुआजाने-पहचाने सब कुछ सेइस सूखी तपती रेती के विस्तार से,और अजाने-अनपहचाने सब सेदुर्गम, निर्मम, अन्तहीनउस ठण्डे पारावार से!
View more comments
View All Notifications