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Pani Ek Roshni Hai | Kedarnath Singh
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Pani Ek Roshni Hai | Kedarnath Singh

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पानी एक रोशनी है। केदारनाथ सिंहइन्तज़ार मत करोजो कहना हो कह डालोक्योंकि हो सकता है फिर कहने काकोई अर्थ न रह जाएसोचोजहाँ खड़े हो, वहीं से सोचोचाहे राख से ही शुरू करोमगर सोचोउस जगह की तलाश व्यर्थ है।जहाँ पहुँचकर यह दुनियाएक पोस्ते के फूल में बदल जाती हैनदी सो रही हैउसे सोने दोउसके सोने सेदुनिया के होने का अन्दाज़ मिलता है।पूछोचाहे जितनी बार पूछना पड़ेचाहे पूछने में जितनी तकलीफ़ होमगर पूछोपूछो कि गाड़ी अभी कितनी लेट हैअँधेरा बज रहा है।अपनी कविता की किताब रख दो एक तरफ़और सुनो-सुनोअँधेरे में चल रहे हैंलाखों-करोड़ों पैरपानी एक रोशनी हैअँधेरे में यही एक बात है।जो तुम पूरे विश्वास के साथदूसरे से कह सकते हो

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